Thursday, September 3, 2009

तुम्हारा साथ ....

तुम्हारा साथ रहा लम्बा और भरा-भरा
उछाह के वक़्तों में मिले थे
अवसादों की तलहटियों में सुर मिलाते रहे
सुनाया तुमने जीवन का लगभग हर संभव संगीत

प्रेम में डूबे दिनों में ग़ज़लें सुनीं इतनी बार कि
मेंहदी हसन का गला बैठ गया
नींद उन दिनों उड़ी रहती थी
तुम रोमानी लोरियाँ बन बजते थे ........


और क्या कहूँ दोस्त .... सब कुछ तो तेरा ही दिया हुआ है .....facebook/com

8 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर एहसास........

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  2. चिट्टा के इस असीम संसार में आपका स्वागत है...

    आप लिखते रहे और अच्छा लिखते रहें.

    मेरी शुभकामनायें हैं आपके साथ.

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  3. बहुत ही भावुक पंक्तियां. आभार.

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  4. बेहतर । बहुत खूब। स्वागत है ।

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  5. VAAH ... LAJAWAAB RACHNA HAI ...... ANIKHE EHSAAS KO SIMETE RACHNA ....

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  6. bahut khub kahi apane.....

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  7. बेहतर । बहुत खूब। स्वागत है ।

    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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