Thursday, April 26, 2012

दर्द-ऐ-दिल अपना कभी हमें भी सुनाओ........


दर्द-ऐ-दिल अपना कभी हमें भी सुनाओ
ज़ख्म दिये कैसे उल्फतने हमें भी दिखाओ

कोई गुनाह नही है प्यार जो तुम ने किया कभी
देता हो दर्द गर यह एहसास, उसे दिल से मिटाओ

मिलती नही खुशिया सभी जिसकी की हो आरजू
किस्मत से मिली है जितनी उसका शुक्र मनाओ

ग़म में ख़ुद को मिटानेसे कुछ होता नही हासिल
मिले जो पल- दो-पल प्यार के, उसे प्यार से बिताओ

भर देंगे हर खुशी से यह दामन तेरा
तुज को कसम है "ग़ज़ल” थोड़ा ठहर भी जाओ



1 comment:

  1. Kya baat hai chhokre... teri gazal to purani sharaab ki tarah hai... dil nikalkar rakh diya!

    ReplyDelete