तेरी दोस्ती में तुजे क्या पैगाम दू !
तेरा रूप है क्या,क्या मै इससे नाम दू !!
तेरी कदर करू मै केसे,क्या तुजे सलाम दू !
तेरी खुशबू हर जगह है,क्या तुजे फूलो की फुलवारी कहू !!
एक कड़ी थी रिस्तो की जो कमजोर पड़ी थी !
खड़ा था मै कही और मेरी जान कही और अडी थी !!
तेरे साथ जुडी थी वो विशवास की डोर थी !
जहा प्यार था अपनापन था वहा तू खड़ी थी !!
एक कहानी थी मेरी जो हकीकत मै बदल गयी !
लडखडाई हुयी मेरी जिन्दगी तेरी डोर से संभल गयी !!!!!
DOSTI KO KOI NAAM KYAA DENA .... VO TO ZINDAGI HAI ..... SUNDAR LIKHA HAI ..... BAHOOT UMDAA...
ReplyDeleteBahut sundar panktiyan.Keep it up.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अहसासों से भरी रचना.
ReplyDeletehttp://sanjaybhaskar.blogspot.com