तुम्हारा साथ रहा लम्बा और भरा-भरा
उछाह के वक़्तों में मिले थे
अवसादों की तलहटियों में सुर मिलाते रहे
सुनाया तुमने जीवन का लगभग हर संभव संगीत
प्रेम में डूबे दिनों में ग़ज़लें सुनीं इतनी बार कि
मेंहदी हसन का गला बैठ गया
नींद उन दिनों उड़ी रहती थी
तुम रोमानी लोरियाँ बन बजते थे ........
और क्या कहूँ दोस्त .... सब कुछ तो तेरा ही दिया हुआ है .....facebook/com
उछाह के वक़्तों में मिले थे
अवसादों की तलहटियों में सुर मिलाते रहे
सुनाया तुमने जीवन का लगभग हर संभव संगीत
प्रेम में डूबे दिनों में ग़ज़लें सुनीं इतनी बार कि
मेंहदी हसन का गला बैठ गया
नींद उन दिनों उड़ी रहती थी
तुम रोमानी लोरियाँ बन बजते थे ........
और क्या कहूँ दोस्त .... सब कुछ तो तेरा ही दिया हुआ है .....facebook/com
बहुत ही सुन्दर एहसास........
ReplyDeleteचिट्टा के इस असीम संसार में आपका स्वागत है...
ReplyDeleteआप लिखते रहे और अच्छा लिखते रहें.
मेरी शुभकामनायें हैं आपके साथ.
बहुत ही भावुक पंक्तियां. आभार.
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
बेहतर । बहुत खूब। स्वागत है ।
ReplyDeleteVAAH ... LAJAWAAB RACHNA HAI ...... ANIKHE EHSAAS KO SIMETE RACHNA ....
ReplyDeletebahut khub kahi apane.....
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteबेहतर । बहुत खूब। स्वागत है ।
ReplyDeletehttp://sanjaybhaskar.blogspot.com